रायपुर। कुख्यात हिस्ट्रीशीटर रोहित तोमर, कहानी है अपराध, सत्ता और पुलिस की चौकसी का एक रोमांचक मिश्रण।
- शुरुआती जीवन और अपराध की दुनिया में कदम
रोहित तोमर और उनके भाई वीरेंद्र तोमर की कहानी छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से शुरू होती है। कहा जाता है कि दोनों भाई कभी छोटे-मोटे काम करते थे, जैसे ठेले पर सामान बेचना। लेकिन महत्वाकांक्षा और पैसों की लालच ने उन्हें अपराध की दुनिया में धकेल दिया।
रोहित और वीरेंद्र ने कथित तौर पर अवैध उधार देने का धंधा शुरू किया। वो 8% ब्याज पर पैसा उधार देते थे, और अगर कोई समय पर ब्याज नहीं चुका पाता, तो उनके गुंडे उसका घर घेर लेते। जमीन और कीमती सामान जबरन अपने नाम करवाना उनका तरीका था।
- शुरुआती जीवन और अपराध की दुनिया में कदम
रोहित तोमर के खिलाफ 10 से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हैं। इनमें मारपीट, अवैध हथियार रखने और धमकी देने जैसे अपराध शामिल हैं। उनकी गतिविधियों ने उन्हें पुलिस की रडार पर ला दिया, और जल्द ही वो हिस्ट्रीशीटर घोषित हो गए।
2025 में रायपुर पुलिस ने उनके भाठागांव स्थित घर पर छापेमारी की। इस कार्रवाई में पुलिस ने करोड़ों की नकदी, दो किलो सोना, दो पिस्टल, 20 जिंदा कारतूस, और लग्जरी गाड़ियाँ जैसे थार और बीएमडब्ल्यू जब्त कीं। लेकिन हैरानी की बात? छापेमारी से पहले ही रोहित और वीरेंद्र फरार हो चुके थे।
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करणी सेना और विवाद
रोहित का भाई वीरेंद्र तोमर कथित तौर पर करणी सेना का राष्ट्रीय अध्यक्ष है। इस संगठन के नाम ने उनकी सत्ता और प्रभाव को और बढ़ाया। लेकिन ये प्रभाव अपराध की दुनिया में डर और दबदबे के लिए इस्तेमाल हुआ।
पुलिस का कहना है कि रोहित और वीरेंद्र ने अपने रसूख का इस्तेमाल लोगों को डराने और अवैध धंधों को चलाने में किया। उनकी कहानी हमें दिखाती है कि कैसे छोटे स्तर से शुरू हुआ अपराध बड़ा नेटवर्क बन सकता है।
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पुलिस की कार्रवाई और भविष्य
रायपुर पुलिस ने रोहित और वीरेंद्र को पकड़ने के लिए कई टीमें